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जाग मचिन्दर गोरख आया I

श्रीमद् योगेन्द्र गोरक्षनाथजी के विमल कमलोपम हृदयात्मक स्थान में स्वकीय अद्भुत शक्ति के विश्वास का तथा गुरुभक्ति का अपरिमित अटल साम्राज्य ...

Friday, April 22, 2016

श्री गोरक्ष रहस्यम

ॐ शिव गोरक्ष योगिनै नमः I
श्री गोरक्ष ध्यानम II

हे शम्भुजती गुरु गोरक्षा नाथजी आप अलख क्षेत्र नाम के शैल (पर्वत ) पर जहां वायुलोक में योग पर आरूढ़ होकर निवास करते हो I आप ॐ कार ज्योति स्वरुप एवं प्रत्यक्ष आदिनाथ जी के स्वरुप हो I जिनके स्वरुप का शास्त्रों में यथावत वर्णन किया हे, निर्गुण होते हुए भी गुणस्वरूप है, उन भक्तवत्सल श्री शम्भुजती, शिव स्वरूपी गुरु गोरक्षनाथजी को नमस्कार करता हूँ I आपने महातेजस्वी कुंडल कानो में धारण किये है I आपकी कांति कर्पूर के समान गौर है जो दिव्या रूपधारी चन्द्रमा रूपी मुकुट से सुशोभित है और शीश पर जटाजूट धारण किये हो I
आप व्याग्र के के चर्म पर आसान लगाए हुए हो तथा मृगचर्म को परिधान किये हुए हो जिनका स्वरुप अत्यन्त शुभ है जो सेली श्रृंगी तथा रुद्राक्ष माला को पहने हुए पद्मासन लगाए हुए अतिशय शोभायमान दिख रहे हो II
हे जती गोरक्षनाथ जी आप शून्य रूप वाले (निराकार ) हो, आप शुन्य में विलय ऐसे शून्यमय हो, आपका योग शुन्य में स्थित हे, फिर भी सनातन अर्थात आदि परंपरा से अनन्त रूप धारण करते हो I
हे गोरक्षनाथ जी आपका वंदन तीनो लोक करते है I आप महायोगी, महासिद्ध, महाज्ञानी, महगुणी, महाबली, महामायावी और महारथी हो I आपकी जय हो ! जिनके आगे आठो सिद्धियाँ निरन्तर नृत्य करती रहती है, भक्त समुदाय जय जयकार करते हुए जिनकी सेवा में लगे रहते है I दुःसह तेज होने के कारण जिनकी और देखना भी कठिन हे, जो देवताओ से सेवित हे I तथा सम्पूर्ण प्राणियों को शरण देने वाले हे I जिनका मुखारविंद प्रसन्नता से खिला रहता है II वेद और शास्त्रों ने जिनकी महिमा का यथावत गान किया हे II तीनो देवता भी सदासर्वदा जिनकी स्तुति करते रहते हे तथा जो परमानन्द स्वरुप है II उन भक्तवत्सल श्री शम्भुजती शिवस्वरूपी गुरु गोरक्षनाथजी को नमस्कार करता हूँ II
आदेश ! आदेश !! आदेश !!!